पाकिस्तान सेना ने खर्चे में किया कटौती, इमरान ने सराहा

पाकिस्तान सेना ने खर्चे में किया कटौती, इमरान ने सराहा

खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से परेशान पाकिस्तान की सेना ने अपने रक्षा बजट में कटौती का फैसला किया है, जिसका वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तारीफ की है. पाकिस्तानी सेना का कहना है कि वह एक साल के लिए अपने बजट में स्वैच्छिक कटौती कर रही है. हालांकि उसने यह भी कहा कि बजट में उसकी यह कटौती सुरक्षा की कीमत पर नहीं की जा रही है बल्कि इस बचे धन का इस्तेमाल बलूचिस्तान के कबीलाई इलाके के विकास के लिए करेगी.

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने ट्वीट किया, सालभर के लिए रक्षा बजट में स्वैच्छिक कटौती सुरक्षा की बिनाह पर नहीं की गई है. हम सभी तरह के खतरों से निपटने में सक्षम हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम कबीलाई क्षेत्रों और बलूचिस्तान के विकास में भागीदार बन रहे हैं.

वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सेना के इस फैसले की सराहना की है. उन्होंने ट्वीट किया, हमारी आर्थिक हालत खराब है और कई मोर्चों पर हम सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहे हैं, इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना की अगले वित्त वर्ष के दौरान रक्षा व्यय में स्वैच्छिक कटौती के फैसला की सराहना करता हूं. हमारी सरकार इस धन का इस्तेमाल कबीलाई क्षेत्रों और बलूचिस्तान के विकास में करेगी.

गौरतलब है कि खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से परेशान पाकिस्तान की इमरान सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. हाल ही में वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की हालत अभी और बिगड़ेगी, और वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान उसकी जीडीपी में बढ़त दर गिरकर 2.7 फीसदी ही रह जाएगी. वर्ल्ड बैंक ने यह भी चेताया है कि वित्त वर्ष 2020 में महंगाई बढ़कर 13.5 फीसदी तक पहुंच सकती है.

साल 2017-18 में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में 5.8 फीसदी की बढ़त हुई थी जो कि पिछले 11 साल का शीर्ष स्तर था. विश्व बैंक के अनुसार इसके बाद के दो वर्षों में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी. पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक वर्ल्ड बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान की जीडीपी में बढ़त महज 3.4 फीसदी रहेगी और सरकार द्वारा वित्तीय और मौद्रिक नीतियों में सख्ती बरते जाने की वजह से इसके अगले वित्त वर्ष यानी 2019-20 में ग्रोथ रेट महज 2.7 फीसदी रह जाएगी. विश्व बैंक की साउथ एशिया इकोनॉमिक फोकस रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.


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पीएम मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि बनाई गई- अठावले

पीएम मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि बनाई गई- अठावले

भाजपा की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के प्रमुख रामदास अठावले ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि गलत तरह से मुस्लिम विरोधी की बनाई गयी है और वह विकास की राजनीति में भरोसा रखते हैं।

प्रभा साक्षी पर छपी खबर के अनुसार, अठावले ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने के बजाय विपक्ष का नेता बनने का सपना देखना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहें क्योंकि इससे ‘भाजपा और नरेंद्र मोदी जी’ को लाभ होगा।

अठावले ने सोमवार को सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री के रूप में कामकाज संभाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की छवि गलत तरह से मुस्लिम विरोधी की पेश की गयी है।

वह ऐसे नहीं हैं। अठावले ने कहा, ‘‘मोदीजी की मुस्लिम विरोधी छवि 2002 के गोधरा दंगों के बाद बनाई गयी जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे।’’


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मस्जिदुल अक़्सा पर इस्राईल के अतिक्रमण के संबंध में ख़ामोशी अख़्तियार कर रखी है दुनिया!

मस्जिदुल अक़्सा पर इस्राईल के अतिक्रमण के संबंध में ख़ामोशी अख़्तियार कर रखी है दुनिया!

हालिया महीनों के दौरान मस्जिदुल अक़्सा पर इस्राईल का अतिक्रमण बढ़ गया है। 2 जून 2019 को लगभग 1200 बसाए गए ज़ायोनी, इस्राईली सैनिकों की मदद से पवित्र मस्जिदुल अक़्सा में दाख़िल हुए जिसका नमाज़ पढ़ रहे फ़िलिस्तीनियों ने विरोध किया जिसके नतीजे में ज़ायोनी पुलिस और नमाज़ियों के बीच झड़प हुयी।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, मस्जिदुल अक़्सा पर इस्राईलियों के बढ़ते अतिक्रमण के संबंध में कुछ बिन्दुओं का उल्लेख ज़रूरी लगता है। पहला यह कि हालिया महीनों के दौरान मस्जिदुल अक़्सा पर इस्राईल के अतिक्रमण में तेज़ी आयी है।

मार्च 2019 को 2000 से ज़्यादा बसाए गए ज़ायोनियों ने इस्राईली सैनिकों की मदद से मस्जिदुल अक़्सा पर अतिक्रमण किया था। जैसा कि 2 जून की घटना के पीछे भी इस्राईली सैनिकों का हाथ था, इसलिए यह बात पूरे विश्वास से कही जा सकती है कि मस्जिलुद अक़्सा पर अतिक्रमण का नया चरण बसाए गए ज़ायोनियों का ख़ुद से प्रेरित क़दम नहीं है बल्कि ज़ायोनी शासन की सुनियोजित कार्यवाही के तहत अंजाम पा रहा है।

दूसरा यह कि मस्जिदुल अक़्सा पर अतिक्रमण न सिर्फ़ फ़िलिस्तीनी जनता के धार्मिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय अधिकार के मूल सिद्धांत के भी ख़िलाफ़ है।

बसाए गए ज़ायोनियों और इस्राईली सैनिकों ने जिस समय मस्जिदुल अक़्सा पर अतिक्रमण किया उस समय बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनी नमाज़ी इस मस्जिद में एतेकाफ़ नामक विशेष उपासना कर रहे थे।

तीसरे यह कि ताज़ा अतिक्रमण की घटना ऐसी हालत में हुयी है कि पिछले वर्षों के दौरान सहमित के अनुसार, पवित्र रमज़ान के आख़िरी दस दिन बसाए गए ज़ायोनियों को मस्जिदुल अक़्सा में दाख़िल होने की इजाज़त नहीं थी लेकिन मौजूदा साल ज़ायोनियों ने इस सहमति का उल्लंघन किया जिसकी वजह से फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों और ज़ायोनी सैनिकों में झड़प हुयी।

अंत में यह कि विश्व समुदाय और मानवाधिकार की रक्षा का दम भरने वाले जिस तरह फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इस्राईल के अपराधों के संबंध में ख़ामोश रहते हैं, उसी तरह उन्होंने मस्जिदुल अक़्सा पर इस्राईल के अतिक्रमण के संबंध में भी ख़ामोशी अख़्तियार कर रखी है और यही ख़ामोशी ज़ायोनी शासन का समर्थन करने के समान है जिसकी वजह से वह फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ अपराध में दुस्साहसी होता जा रहा है।


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बीजेपी विधायक ने कहा, अगर राज्य के कर्मचारी महीने भर में ठीक नहीं होते हैं तो उन्हें जूते से मारिए

बीजेपी विधायक ने कहा, अगर राज्य के कर्मचारी महीने भर में ठीक नहीं होते हैं तो उन्हें जूते से मारिए

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ललितपुर में बीजेपी विधायक रामरतन कुशवाहा ने मंगलवार को सांसद अनुराग शर्मा की जीत के बाद आयोजित बीजेपी कार्यकर्ता अभिनंदन समारोह में पार्टी के कार्यकर्ताओं के सामने कहा कि अगर प्रदेश के कर्मचारी महीने भर में ठीक नहीं होते हैं तो जूता उतारकर उनको मारिए। उन्होंने कहा ” अभी भी जो प्रदेश सरकार के कर्मचारी हैं वो महीने, दो महीने में ठीक नहीं होते हैं और हमारे कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं करते हैं तो मैं कहता हूं कि अपना जूता उतारिए और मारिए” साथ ही उन्होंने कहा कि सपा व बसपा की मानसिकता वाले अधिकारी और कर्मचारियों ने लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी कार्यकर्ताओं को धमकाया और उन्हें सदस्यता दिलवाई।

हालांकि बीजेपी विधायक के इस बयान के बाद जिला प्रभारी रामकिशोर साहू ने आपत्ति दर्ज कराई है। साथ ही जिलाध्यक्ष जगदीश सिंह लोधी ने भी अपनी नाराजगी जताई है। विधायक के बयान के बाद अब उनकी ही पार्टी के नेता इस इससे पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। क्षेत्रीय महामंत्री कानपुर रामकिशोर साहू और बुंदेलखंड क्षेत्र व जिला प्रभारी ने कहा कि पूर्व की सरकारों में अधिकारियों ने भ्रष्टाचार व मनमानी की है। लेकिन सदर विधायक कुशवाहा के बयान से वह भी सहमत नहीं है।


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कैसे खत्म हो गया लालू प्रसाद का जातीय समीकरण?

कैसे खत्म हो गया लालू प्रसाद का जातीय समीकरण?

भारत की राजनीति में मनोरंजक और चुटीले बयानों के लिए विख्यात राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद हाल के लोकसभा चुनाव में नहीं दिखे। लोगों की नब्ज पहचानने वाले नेता की अनुपस्थिति का खामियाजा उनके दल को उठाना पड़ा।

केंद्र में कभी ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने वाले लालू आज उस बिहार से करीब 350 दूर झारखंड की राजधानी रांची की एक जेल में सजा काट रहे हैं, जहां उनकी खनक सियासी गलियारे से लेकर गांव के गरीब-गुरबों तक में सुनाई देती थी।

लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं जीतने वाली राजद के साथ बिना शर्त गठबंधन करने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता भी अब राजद पर सवाल उठाने लगे हैं। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जातीय समीकरण की राजनीति करने वाले लालू प्रसाद के इस तिलस्म को तोड़ दिया है।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, बिहार की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले संतोष सिंह की चर्चित पुस्तक ‘रूल्ड ऑर मिसरूल्ड द स्टोर एंड डेस्टिनी ऑफ बिहार’ में कहा गया है कि बिहार में ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद लालू प्रसाद ने उनकी राजनीतिक विरासत संभालने वाले नेता के रूप में पहचान बनाई और उन्हें काफी सफलता भी मिली।

सिंह कहते हैं कि उन्होंने गरीबों के बीच जाकर अपनी खास पहचान बनाई और गरीबों के नेता के रूप में खुद को स्थापित किया। इससे पहले लालू प्रसाद ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन में सक्रिय भाग लेकर अपनी राजनीति का आगाज किया था।

1977 के चुनाव में लालू यादव को जनता पार्टी से टिकट मिला और वह पहली बार संसद पहुचे। सांसद बनने के बाद लालू का कद राजनीति में बड़ा होने लगा और वह साल 1990 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए।

वर्ष 1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने राजद का गठन किया। इस दौरान लालू से उनके विश्वासपात्र और बड़े नेता उनका साथ छोड़ते रहे पर 2015 तक बिहार की सत्ता पर उनकी भूमिका रही।

सिंह ने अपनी पुस्तक में कहा है, भागलपुर दंगे के बाद मुस्लिम मतदाता जहां कांग्रेस से बिदककर राजद की ओर बढ़ गए, वहीं यादव मतदाता स्वजातीय लालू को अपना नेता मान लिया। इसी दौरान चर्चित चारा घोटाले में आरोपपत्र दाखिल होने के कारण लालू को बड़ा झटका लगा।


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जर्मनी: पिछले तीन साल में मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा में कमी आई

जर्मनी: पिछले तीन साल में मुसलमानों के खिलाफ़ हिंसा में कमी आई

एक संसदीय जांच में पता चला है कि साल 2017 से जर्मनी में मुस्लिमों के विरुद्ध होने वाली हिंसा में कमी आई है। हालांकि, लेफ्ट पार्टी के एक सांसद ने कहा है कि समाज के अंदर और ऑनलाइन घृणा अभी भी फैलाई जा रही है।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, 5 जून को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी में 2019 में पिछले दो सालों की तुलना में ‘इस्लामोफोबिक’ हमले कम हुए हैं। यह जानकारी लेफ्ट पार्टी डी लिंके द्वारा मांगी गई जानकारी के जवाब में नॉय ऑस्नाब्रुकर साइतुंग में छपी है।

2017 के पहले तीन महीनों में जर्मन पुलिस ने 221 धार्मिक हिंसा की वारदातें अपने रिकॉर्ड में दर्ज की थीं। इनमें मुस्लिमों, मस्जिद और मुस्लिमों के सामुदायिक भवनों पर हमले शामिल थे।

साल 2018 की पहली तिमाही में यह संख्या कम होकर 196 और साल 2019 में और कम होकर 132 दर्ज की गई। साल भर के आंकड़े भी इन रुझानों की पुष्टि करते हैं. 2017 में साल भर में ऐसी 960 घटनाएं हुईं जबकि 2018 में 824 घटनाएं हुईं।

इस्लामोफोबिक अपराधों में धार्मिक नफरत, संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, मुस्लिमों से भेदभाव करना, तोड़फोड़ और सेंधमारी शामिल हैं. इनमें हिंसक हमले भी शामिल हैं जिनमें अब कमी आई है।

2018 की पहली तिमाही में ऐसे हमलों में 17 लोगों को चोट लगी जबकि 2019 में यह संख्या बस चार थी। जर्मनी में 2017 से इस्लामोफोबिक अपराधों का अलग से डाटा रखा जा सकता है।

लेफ्ट पार्टी की घरेलू राजनीतिक प्रवक्ता उला येल्पके ने कहा कि जर्मनी को सतर्क रहना होगा। हमलों में कमी होने की खबर उत्साहजनक है लेकिन अभी भी अलग-अलग माध्यमों से नफरत फैलाने की कोशिश हो रही है।

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के प्रति नफरत जो जुर्म में बदल जाती है, अभी भी इंटरनेट पर रोज दिखाई दे रही है। वह पबों और यहां तक की सरकारी इमारतों में भी दिख जाती है। इस सबका विरोध करते रहना होगा जिससे यह खत्म हो सके।

इस्लामोफोबिया शब्द का अर्थ है इस्लाम और मुस्लिमों से पैदा हुआ डर. यह शब्द अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले के बाद चलन में आया। 9/11 के बाद अमेरिका में हुए मुस्लिम विरोधी हमलों और साधारण मुस्लिमों से वेवजह पैदा हुए डर की वजह से यह शब्द बना।


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मुंबई : एयर होस्टेस के साथ गैंगरेप, एयरलाइन सुरक्षा अधिकारी गिरफ्तार

मुंबई : एयर होस्टेस के साथ गैंगरेप, एयरलाइन सुरक्षा अधिकारी गिरफ्तार

मुम्बई : सोमवार को मुंबई के एक अपार्टमेंट में एक प्रमुख एयरलाइन की 25 वर्षीय एयर होस्टेस के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया गया। पुलिस ने बुधवार को हमले के लिए एक सहयोगी को गिरफ्तार किया और महिला की शिकायत के अनुसार, जिस कमरे में उसके साथ मारपीट की गई थी, उसे तीन पुरुषों ने साझा किया था और एक महिला भी कमरे में मौजूद थी।

आरोपी स्वप्निल बडोनिया (23) को बुधवार को गिरफ्तार किया गया था, जो शिकायतकर्ता को जानता था और उसी एयरलाइन कंपनी के सुरक्षा विभाग में काम करता था। हालांकि, अन्य दो पुरुषों की भूमिका की अभी भी जांच चल रही है।

MIDC पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक नितिन अल्कानुरे ने घटना की पुष्टि की। “अब तक हम जान चुके हैं कि बदोनिया एकमात्र व्यक्ति था जिसने खुद को उस पर मजबूर किया। हालांकि, हम अपराध में अन्य रूममेट्स की भूमिका की जांच कर रहे हैं।


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चीन में मुसलमानों पर थम नहीं रहा ज़ुल्म, ढहा दीं गई दर्जनों मस्जिदें, फीका रहा रमजान

चीन में मुसलमानों पर थम नहीं रहा ज़ुल्म, ढहा दीं गई दर्जनों मस्जिदें, फीका रहा रमजान

होतन (चीन): चीन के अशांत शिनजियांग क्षेत्र में हेयितका मस्जिद के इर्द-गिर्द एक वक्त रौनक सी रहती थी, लेकिन ऊंची गुंबददार इमारत की निशानी मिटने के साथ यह जगह अब वीरान हो चुकी है. दुनिया भर के मुसलमान खुशी और उत्साह के साथ ईद मना रहे हैं लेकिन हालिया समय में शिनजियांग में दर्जनों मस्जिदों को ढहाए जाने के कारण उइगुर और अन्य अल्पसंख्यक आबादी सुरक्षाकर्मियों की भारी मौजूदगी वाले इस क्षेत्र में दबाव का सामना कर रहे हैं और उनका रमजान भी फीका गुजरा. होतन शहर में इस जगह के पीछे एक प्राथमिक स्कूल की दीवार पर लाल रंग में लिखा है ‘पार्टी के लिए लोगों को पढ़ाएं’ और इस स्कूल में प्रवेश से पहले छात्रों को अपना चेहरा स्कैन कराना पड़ता है.

पास के बाजार के एक दुकानदार ने कहा कि मस्जिद की बनावट ‘शानदार’ थी.वहां पर कई लोग रहते थे.उपग्रह से मिली तथा अन्य तस्वीरों को खंगालने से पता चलता है कि 2017 के बाद से 36 मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को गिराया जा चुका है.जो मस्जिद खुले हैं, वहां जाने के लिए श्रद्धालुओं को मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ता है और सर्विलांस कैमरा से लगातार उनपर निगरानी रखी जाती है. दमन के डर से पहचान नहीं उजागर करने का अनुरोध करते हुए एक उइगुर मुसलमान ने कहा कि यहां पर हालात बहुत सख्त है, दिल कड़ा करके रहना पड़ता है.

बुधवार को ईद मनाने वाले मुसलमान बड़ी खामोशी से ईदगाह मस्जिद पहुंचे
बुधवार को ईद मनाने वाले मुसलमान बड़ी खामोशी से ईदगाह मस्जिद पहुंचे. इस मस्जिद को प्रशासन ने मंजूरी दे रखी है और यह चीन की सबसे बड़ी मस्जिदों में एक है. आसपास की सड़कों, इमारतों पर सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मी आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखे हुए थे. शिनजियांग में मुस्लिमों के लिए इस बार भी रमजान पर कोई रौनक नहीं थी.

जब मुसलमान रोजा रखते थे, रेस्तरां में उमड़ी भीड़ को पूरे दिन भोजन परोसा जाता था. शुक्रवार को होतन में सूर्यास्त के बाद भी यह इकलौती मस्जिद सुनसान थी. इससे पहले दिन में करीब 100 लोग नमाज पढ़ने आए थे, लेकिन उनमें ज्यादातर बुजुर्ग मुसलमान थे. चीन के ला त्रोबे विश्वविद्यालय में जातीय समुदाय और नीति के विशेषज्ञ जेम्स लीबोल्ड ने कहा कि सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी धर्म को खतरा मानती है.

लंबे समय से चीन सरकार चीनी समाज को धर्मनिरपेक्ष बनाना चाहती है. शिनजियांग सरकार ने कहा कि वह धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करती है और नागरिक कानून की सीमा के दायरे में रहते हुए रमजान मना सकते हैं. घातक हमले की आशंका के मद्देनजर सरकार ने पूरे क्षेत्र में कैमरे लगा रखे हैं. मोबाइल पुलिस थाने और जगह-जगह जांच चौकी बनायी गयी है.

 दस लाख उइगुर और तुर्की भाषी लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है.
अनुमानों के मुताबिक दस लाख उइगुर और तुर्की भाषी लोगों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है. शुरुआत में उनकी मौजूदगी से इनकार करते हुए चीनी प्रशासन ने पिछले साल माना कि वे व्यावसायिक शिक्षा केंद्र चला रहे हैं, जिसका मकसद है कि लोग मंदारिन और चीनी कानूनों से वाकिफ होकर धार्मिक चरमपंथ का रास्ता त्याग दें.

इन केंद्रों में रमजान को लेकर कोई उत्साह नहीं था. शिनजियांग सरकार ने कहा कि लोगों को धार्मिक गतिविधियों की इजाजत नहीं दी गयी क्योंकि चीनी कानून शैक्षिक केंद्रों में इस पर रोक लगाते हैं, लेकिन सप्ताहांत में वापसी पर उन्हें ऐसा करने की इजाजत होगी.


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इस मुख्यमंत्री ने ईदगाह पहुंच कर दी मुसलमानों को बधाई

इस मुख्यमंत्री ने ईदगाह पहुंच कर दी मुसलमानों को बधाई

प्रदेशभर में आज ईद उल फितर बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है। इस मौके पर ईदगाह भाठा मैदान पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुस्लिम भाईयों को गले लगाकर ईद की मुबारकबाद दी।

हरिभूमी पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा, रोजेदारों ने 30 दिन तक रोजे रखे। ईद आपसी भाईचारे और अमन का त्योहार है। इस मौके पर मैं सबको ईद की दिली मुबारकबाद देता हूं।

इस अवसर पर विधायक सत्यनारायण शर्मा, कुलदीप जुनेजा, नगर निगम रायपुर के पार्षद एजाज ढेबर, रमेश वार्ल्यानी, जामा मस्जिद के इमाम अ​हमद कारी, मोहम्मद अहमद, रुस्तम अहमद सहित समाज के अनेक पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इसके पहले ईदगाह में समाज के लोगों ने ईद की नमाज अदा की।

छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में ईद का जश्न हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सुबह से ही लोग ईद की नमाज के लिए घरों से निकलकर ईदगाह में पहुंचने लगे थे। इस मौके पर लोग जुलूस की शक्ल में ईदगाह मैदान पर पहुंचे और नमाज अदा की और नमाज के बाद एक-दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद दी।


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VIDEO: ईद की नमाज़ में शामिल हुए सीएम नीतीश कुमार, बोले..?

VIDEO: ईद की नमाज़ में शामिल हुए सीएम नीतीश कुमार, बोले..?

चांद का दीदार मंगलवार को करने के साथ ही रमजान का पाक माह समाप्त हो गया। आज पूरे बिहार में लोग हर्ष और उल्लास के साथ ईद मना रहे हैं। सुबह से ही ईदगाहों में अकीदतमंदों की भीड़ है।

इस मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पटना के गांधी मैदान पहुंचकर लोगों को मुबारकबाद दी। ईद के मौके पर बिहार के विभिन्न मस्जिदों और ईदगाहों में लोगों ने नमाज अता की और दुआएं मांगी। रमजमान के अंतिम दौर में सियासत भी तेज रही है।

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प्रभात खबर पर छपी खबर के अनुसार, इफ्तार पार्टी के बहाने नेताओं की सियासी जुगलबंदी भी देखने को मिली। वर्ष 1925 से गांधी मैदान में ईद की अता की जा रही नमाज में शामिल हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ईद-उल-फितर की मुबारकवाद दी। साथ ही कहा कि सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।

सभी धर्मों का सम्मान नहीं करनेवाला धार्मिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पवित्र रमजान के महीने में रोजेदारों द्वारा की गयी इबादतों और रोजे से रोजेदारों के घर परिवार के साथ प्रदेश और देश में शांति एवं समृद्धि आये तथा समाज में अमन-चैन, भाईचारा पूरे तौर पर कायम रहे, यह कामना है।


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